स्वयं को स्वयं जागृत करना पड़ेगा, आपका उधार करने कोई
अवतार आने वाला नही. अवतारी महापुरुष आपको रास्ता दिखा सकते है, चलना तो आपको स्वयं
ही पड़ेगा. हर व्यक्ति एक पत्थर की तरह है, वह जैसी शक्ल उसमें तराशना चाहता है,
खुद ही तराशकर बना लेगा, कोई दूसरा आकर नहीं बनाएगा. इसलिए अंधेरों से पार जाने के
लिए स्वयं ही प्रयास करना पड़ेगा. मैं कुछ हूँ, कुछ बन सकता हूँ और कुछ कीर्तिमान
स्थापित कर सकता हूँ. यह खुद को ही उपदेश, सन्देश है. हर जीव को अपने संगर्ष में
स्वयं ही खड़े होना पड़ता है. इस जगत में कोई व्यक्ति तब तक महान नहीं बन सकता, जब
तक अपने दिल के आईने में अपनी गलतियाँ नहीं देखता और अपने गुणों का विकास नहीं
करता.
तुम्हारी महिमा को कोई नहीं समझ सकता, अपनी महानता को स्वयं ही समझो. आसमान में पगडण्डी नहीं है. अपना रास्ता स्वयं ढूँढना पड़ता है. जूझने के लिए स्वयं प्रयास करना पड़ेगा. बहते हुए आंसुओं को अपने हाथों से पोंछना. अच्छे के लिए खुद ही अपनी पीठ थपथपाना. दूसरों से प्रेरणा ले सकते है, मगर इस ताक में मत रहो की कोई दूसरा आकर आपका सुधार कर देगा. कोई आपको दिशा दे सकता है, जागृति दे सकता है, लेकिन अपने अन्दर स्वयं जागरण की यात्रा चुनोतियों से शुरू होती है, खुद चलना होगा, और चमत्कार होने वाला नहीं. अपनी उदासियों को त्यागें, जीवन में उदासियाँ ओढ़ते जायेंगे तो यात्रा कठिन हो जायेगी. स्वयं जागो, जागना किस रूप में है ? अपना रूप पहचानिए. आपका वास्तविक रूप है शांति. हर पल शान्ति में, प्रसन्नता में बिताने की कोशिश करें. प्रसन्नता तपस्या है, आखों से आंसू निकलने को हों, रोते-रोते हंस पड़े यह तप है. सदा खुश रहो, उस मालिक का धन्यवाद करते रहो.
तुम्हारी महिमा को कोई नहीं समझ सकता, अपनी महानता को स्वयं ही समझो. आसमान में पगडण्डी नहीं है. अपना रास्ता स्वयं ढूँढना पड़ता है. जूझने के लिए स्वयं प्रयास करना पड़ेगा. बहते हुए आंसुओं को अपने हाथों से पोंछना. अच्छे के लिए खुद ही अपनी पीठ थपथपाना. दूसरों से प्रेरणा ले सकते है, मगर इस ताक में मत रहो की कोई दूसरा आकर आपका सुधार कर देगा. कोई आपको दिशा दे सकता है, जागृति दे सकता है, लेकिन अपने अन्दर स्वयं जागरण की यात्रा चुनोतियों से शुरू होती है, खुद चलना होगा, और चमत्कार होने वाला नहीं. अपनी उदासियों को त्यागें, जीवन में उदासियाँ ओढ़ते जायेंगे तो यात्रा कठिन हो जायेगी. स्वयं जागो, जागना किस रूप में है ? अपना रूप पहचानिए. आपका वास्तविक रूप है शांति. हर पल शान्ति में, प्रसन्नता में बिताने की कोशिश करें. प्रसन्नता तपस्या है, आखों से आंसू निकलने को हों, रोते-रोते हंस पड़े यह तप है. सदा खुश रहो, उस मालिक का धन्यवाद करते रहो.
No comments:
Post a Comment