Param pujye Shri Sudhanshuji Maharaj, born on May2, 1955,commonly referred to as Maharaj Shri or Gurushri by his worldwide followers is a preacher from India. He founded Vishaw Jagriti Mission in 1991 which aims to performing spriritualactivities such as Sewa,Simran, Swadhaye, Satsang, Sadhna. Under his wise and well-recognised leadership, the Mission has over 80 branches, 22 Ashrams(old age homes) and 3 charitable Hospitals. throughout the world.

परम पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज प्रवचांश

30) गीता गीत है जीवन संगीत है - श्री सुधांशुजी महाराज



जीवन में कायरता से वीरता का सन्देश गीता है- कायर, डरपोक बनकर भागो नहीं, अपनी जिम्मेदारियों से पीछा छुड़ाने की कोशिश मत करो,अपनी जिम्मेदारियों तुम्हे उठाना पड़ेगी, तुम्हे अपने कर्तव्य निभाना पड़ेंगे, कर्त्तव्यपालन करते-करते न जाने, कितनी बार मन में निराशाएं आयेंगी, किन्तु निराश मत होना, मन को फिर से तैयार करना होगा क्योंकि तुम्हारा भाग्य बदलने के लिए कोई और आने वाला नहीं है. अपने ही हाथों से अपने भाग्य का निर्माण तुम्हे स्वयं करना होगा. विषाद से प्रसाद की ओर चलने का मार्ग गीता है, इसीलिए प्रथम अध्याय को ही विषाद-योग कहा है की आकर खड़े हो गये विषाद में ,दुःख में, संताप में, निराश में; अब विषाद से प्रस्साद  की  ओर चलना है, प्रसन्त्ता की ओर चलना है. प्रसन्त्ता जीवन जीने के अंदाज़ से आएगी और जीवन जीने का अंदाज़ अगर  किसी का अच्छा है तो फिर भले ही वह झोपडी में भी क्यों न रहता हो प्रसन्नता के फूल वहीँ खिलने लग जायेंगे और अगर किसी व्यक्ति के जीवन में यह सुव्यवस्था है ही नहीं तो महलों के अन्दर भी विषाद, निराशा , आहें भर रही होंगी, वहां आनंद नहीं रहेगा. 





इसीलिए विषाद से प्रसाद की ओर चलने का नाम गीता है, मरणधर्मा मनुष्य को अमृतमय बनाने का सन्देश जहाँ से मिला उस सन्देश का नाम गीता है. क्योंकि हम सभी मरणशील  लोग है और यही डरते रहते है की हम मिट न जायें. हम खो न जायें, हमारा कुछ छीन न जाये,कोई हमारा कुछ ले न ले, हर समय डर से सहमे हुए है, चिंताओं में जी रहे है, निराशा हमें खोखला कर रही है. भगवान् श्री कृष्ण यही समझाते है की कोई तुम्हारा कुछ छीन  नहीं सकता . तुम अपने स्वरुप को पहचानो, क्योंकि तुम चैतन्य आत्मा हो. अनित्य है तो यह शरीर और नित्य है तो यह आत्मा ; मिटने वाला तत्व तो यह शरीर और जो मिटने वाली नश्वर चीज़ें है उनकी चिंता क्योंकरते हो- आयेंगी, जायेंगी, मिलेंगी, बिछ्ड़ेंगी संसार है और वियोग का स्वरूप.

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