Param pujye Shri Sudhanshuji Maharaj, born on May2, 1955,commonly referred to as Maharaj Shri or Gurushri by his worldwide followers is a preacher from India. He founded Vishaw Jagriti Mission in 1991 which aims to performing spriritualactivities such as Sewa,Simran, Swadhaye, Satsang, Sadhna. Under his wise and well-recognised leadership, the Mission has over 80 branches, 22 Ashrams(old age homes) and 3 charitable Hospitals. throughout the world.

परम पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज प्रवचांश

23) हृदये की अनमोल सम्पदा- श्री सुधांशुजी महाराज.



प्रेम जहाँ पर होता है वहां भगवान् की कृपा बरसाती है. जहाँ सब अपना- अपना सम्मान चाहते है, केवल अपनी  प्रशंसा को भूखे है और अपनी इज्जत की चाहत रखते है, वहां प्रेम का स्त्रोत सुख जाता है. प्रेम का धागा टूट जाता है. जिस घर में भाई भाई का आपस में अति प्रेम है, बहन भाई का परस्पर अतिशय प्रेम है. उस घर का वातावरण स्वर्ग के तुल्ये होता है. अगर एक घर में दो भाई प्रेम से रहते है तो वे एक दुसरे की शक्ति होते है और अगर प्रेम की डोर टूट जाए तो एक साथ रहते हुए भी दूर रहते है. इंसान के अन्दर अगर प्रेम बढ़ता है , तो त्याग से. अगर प्रेम टूटाता है तो स्वार्थ और लालच की जंग से. जितना आप त्याग करते जायेंगे. उतना प्रेम बढ़ता जाएगा. प्रेम का आधार ही  त्याग है. मान लीजिए सम्मलित परिवार में एक भाई बच्चो को कोई फल दे रहा हो, वहां पर भाई के बच्चे भी हो और स्वयं के बच्चे भी उपस्थित हों तो उस समय यह ध्यान रखना चाहिए की अपने बच्चों की उपेक्षा भाई के बच्चों को बड़ा फल दें. क्यूंकि अनजाने में भी अगर भूल से भाई के बच्चों को छोटा फल दे दिया तो बस, यहीं से शंका का जन्म हो जाएगा. इसलिए परिवार में बड़े होश से चलना चाहिए. तभी प्रेम की नीवं गहरी होती है. 

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