Param pujye Shri Sudhanshuji Maharaj, born on May2, 1955,commonly referred to as Maharaj Shri or Gurushri by his worldwide followers is a preacher from India. He founded Vishaw Jagriti Mission in 1991 which aims to performing spriritualactivities such as Sewa,Simran, Swadhaye, Satsang, Sadhna. Under his wise and well-recognised leadership, the Mission has over 80 branches, 22 Ashrams(old age homes) and 3 charitable Hospitals. throughout the world.

परम पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज प्रवचांश

25) समस्यओं से सामर्थ्य बढे : श्री सुधांशुजी महाराज








जिंदगी बहुत मूल्यवान है; प्रभु के वरदान से मिली है ; इसलिए कुछ तो हममें मूल्य चुकाना ही पड़ेगा. मूल्य तो हर चीज़ का चुकाना पड़ता है. संगर्ष हर चीज़ के लिए करना पड़ता है ; जितनी शक्ति आप अपने अन्दर पैदा करेंगे, उतना ही आपका सामर्थ्य बढ़ता चला जायेगा. जूझने के बाद जो शक्ति अन्दर आती है, जो प्रमाणपात्र आपको प्रकति देती है. मनुष्य का दिया हुआ प्रमाणपत्र काम नहीं आएगा; किन्तु कुदरत जो प्रमाणपात्र आपको देती है, वह बाजूत कीमती होता हो. उस प्रमाणपात्र का मतलब है की फिर आपके सामने भारी से भारी समस्याएं क्यूँ न आ जाएं, पर आप उनको देखकर घबराओगे नहीं बल्कि मुस्कुराओगे;कहोगे,तुम्हारा भी स्वागत है; मैं तुम्हारे लिए तैयार हूँ; नहीं तो छुई-मुई का पौधा बनकर के जीना पड़ता है. यह पौधा ऊँगली दिखता ही मुरझा जाता है. बहुत से लोग दुनिया में ऐसे है, जिनको छुई-मुई के पौधे की तरह जीने की आदत है.  


दुनिया की आदत है जो ऊँगली दिखाने से मुरझा जाते है, उन्हें मुरझाने के लिए लोग फुर्सत से समय निकालते है. ऐसे लोग, जिनका निंदा करने  से चेहरे झुक जाता है, जिन्हें कुछ कह देने से निराशा घेर लेती है, कुछ बोलने से जिनका चेहरा लटक जाता है; ऐसे लोगों के लिए लोग समय निकालकर रखते है. अबकी बार इस झुकाएंगे और जिसका कुछ नहीं बिगड़ पाता है, उनके बारे में लोग कहते है, इससे कौन टाइम खराब करेगा. उसे बड़ा पागल समझा जाता है; यह तो झगडा कर सकता है; इससे बचकर निकलना ठीक है. इसे दूर से सलाम करना ठीक है. इसका मतलब यह नहीं की आप आड़े-तिरछे इंसान हो जाएँ, लेकिन इतना जरूर है की अपने अन्दर इतना सामर्थ्य तो अवश्य पैदा करो , जिससे दुनिया तो दुनिया की तरह जीए ही पर आप भी सर उठाकर जी सके. इतनी हिम्मत तो अपने में पैदा करनी पड़ेगी ; इसलिए कहा जाता है, की कृपाएं बहुत बड़ा कार्य करती है, सद्गुरु का सान्धिये ज्ञान की शक्ति देता है, और वह आशीर्वाद देकर अपनी कृपा भी बरसाता है; दोनों के मेल हो जाने से जिंदगी के दुर्गम मार्गों में चलना आसान हो जाता है.


गुरु ज्ञान की खान है 
बांटत  है दिन रेन. 
पाये कोई बडभागी
मिटे जन्मों का मैल 




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