क्रोध जिस समय आ रहा हो उसी समय अपने आपको
नियंत्रित करना चाहिए. वह जो बुरी घडी होती है जब उसको टालने की कोशिश करोगे तो
गुस्से से आप बच सकते हो. पर ज्यादातार आदमी उस समय झुकने को तैयार नहीं होते. यदि
इंसान उस समय अपने आपको संभाल ले तो स्वयं पर नियंत्रण कर सकता है. आपके अन्दर जो
कूड़ा ,कचरा है, गुस्सा उस सबको बाहर निकाल देता है और आपकी असलियत प्रकट हो जाती
है की इस आदमी के अन्दर इतना कूड़ा-कचरा भरा पड़ा है.
जिनके अन्दर क्रोध नहीं है, बदले की भावना नहीं
है, प्रेम है, सद्भावना है, सहयोग है और सहानुभूति है ऐसे अंतर्कण वाले लोग भगवान्
के प्यारे है. वैर –विरोध , ईर्ष्या ,द्वेष इस सबको अपने अन्दर मत आने दो और अगर
इसके बाद भी को आदमी कोई बुरा कार्य करता
है तो भी आप अपने अच्छाई को नहीं छोड़ना. ऐसा नहीं होना चाहिए की बुरा तो बुराई को छोड़
नहीं रहा तो आप अपनी भलाई को छोड़कर बुरे हो जाए. यह समाज और यह संसार भले लोगों के
कारण ही चल रहा है.
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