परमपिता
परमात्मा द्वारा प्रदत्त यह जीवन उसका अनमोल उपहार है। 8400000 योनियों में भटकने के बाद, संपूर्णता के साधन देकर परमात्मा ने यह सर्वश्रेष्ठ योनी प्रदान की
है।विशालकाय हाथी से लेकर शेर जैसे हिंसक प्राणियों को भी मनुष्य अपने इशारे पर
नचाने की ताकत रखता है।
सुख शांति और सुरक्षा केवल परमात्मा के चरणों में प्राप्त
होती है। इसलिए परमात्मा ही जिंदगी का परम लक्ष्य होना चाहिए।धर्म,अर्थ,काम और मोक्ष चार फल प्रभु कृपा से ही प्राप्त
होते हैं।धर्म पूर्वक कर्म करते हुए मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।ग्रहणी मां
के रूप में पत्नी के रूप में,धर्म पूर्वक आचरण करें,
माता निर्माता है इस बात का ख्याल रखें।और
अपने कर्तव्यों का कुशलतापूर्वक निर्वहन उसका लक्ष्य होना चाहिए।
पिता को अपनी संतान के प्रति,अपने रिश्ते-नातों के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। अपने घर परिवार के प्रति जिम्मेदार रहकर जीवन यापन करना चाहिए। पुत्र को अपने माता पिता के प्रति कृतज्ञ रहकर आचरण करना चाहिए।क्योंकि प्रत्येक माता पिता अपनी संतान को जी-जान से चाहते हैं,पढ़ाते लिखाते हैं,लायक बनाते हैं,इसलिए संतान को भी चाहिए कि अपने फर्ज पूरा करें।
इस तरह से प्रत्येक व्यक्ति को धर्म के हिसाब से कर्म करते हुए सफलता प्राप्त करनी चाहिए।किंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप केवल संसार में ही उलझे रहे,संसार में रहते हुए, सारे रिश्ते नाते निभाते हुए करतार से जुड़े रहना बहुत जरूरी है।
पिता को अपनी संतान के प्रति,अपने रिश्ते-नातों के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। अपने घर परिवार के प्रति जिम्मेदार रहकर जीवन यापन करना चाहिए। पुत्र को अपने माता पिता के प्रति कृतज्ञ रहकर आचरण करना चाहिए।क्योंकि प्रत्येक माता पिता अपनी संतान को जी-जान से चाहते हैं,पढ़ाते लिखाते हैं,लायक बनाते हैं,इसलिए संतान को भी चाहिए कि अपने फर्ज पूरा करें।
इस तरह से प्रत्येक व्यक्ति को धर्म के हिसाब से कर्म करते हुए सफलता प्राप्त करनी चाहिए।किंतु इसका मतलब यह नहीं कि आप केवल संसार में ही उलझे रहे,संसार में रहते हुए, सारे रिश्ते नाते निभाते हुए करतार से जुड़े रहना बहुत जरूरी है।
शेष अगली कड़ी में....
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