Param pujye Shri Sudhanshuji Maharaj, born on May2, 1955,commonly referred to as Maharaj Shri or Gurushri by his worldwide followers is a preacher from India. He founded Vishaw Jagriti Mission in 1991 which aims to performing spriritualactivities such as Sewa,Simran, Swadhaye, Satsang, Sadhna. Under his wise and well-recognised leadership, the Mission has over 80 branches, 22 Ashrams(old age homes) and 3 charitable Hospitals. throughout the world.

परम पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज प्रवचांश

61. आपको अति से बचना है और संतुलन को साधना है -श्री सुधंशुजी महाराज

 भगवत गीता प्रवचन 

भगवान श्रीकृष्ण यह संदेश देते हैं कि ना तो अधिक खाने वाला या सर्वथा भोजन त्यागने वाला मतलब किसी दैनिक व्यवहार की अधिकतम या न्यूनता प्रगति में बाधक होती है इसलिए संतुलन को साधना है, अन्यथा प्रकृति आपको पीड़ा देगी क्योंकि शरीर को संतुलन की आवश्यकता रहती है। जिसमें नींद सबसे मजबूत कड़ी होती है।इससे याददाश्त अच्छी रहती है तथा पीनियल और पिट्यूटरी ग्लैंड भी पूरी तरह प्रभावित होते है।

मस्तिष्क में सुधार का कार्य इसी निद्रा अवस्था में होता है। ब्रह्मांड से आती हुई किरणें हमें उसी समय प्रभावित करती हैं। नींद हमें शांति देती है। इसके लिए हमें शिथिलीकरण की स्थिति में भी जाना चाहिए क्योंकि इस बेहतरीन नींद की सबसे ज्यादा मनुष्य को आवश्यकता होती है। जिसकी नींद अच्छी है उसे ही शांति वाली संपदा प्राप्त होती है।

हमें इस तरह से रहना चाहिए कि किसी चीज से जल्दी जुड़ना और दूर रहने का प्रशिक्षण आना चाहिए। 26 गुणों की संपदा परमात्मा द्वारा हमें दी गई है, जो अपने लोग देते हैं इसके साथ ही मानसिक तनाव भी आता है जो बाहर के लोगों के प्रभाव के कारण पैदा होता है।
मनोवैज्ञानिक इस पर कार्य कर रहे हैं और अभी बहुत सारा कार्य बाकी है क्योंकि तनाव की स्थिति में हमारी सुरक्षित ऊर्जा भी उपयोग में आती है और हम असाधारण क्षमता वाले हो जाते हैं।
भगवान श्री कृष्ण आगे कहते हैं, ऐसे लोगों के लिए योग नहीं है। जो संतुलन साधना है, योग उसी के लिए है क्योंकि योग कर्म बंधन में नहीं बांधता। जीवन में गलत कार्य करते हुए अपने किए का अहसास हमें नहीं रहता। लेकिन जब वह आपको उसका परिणाम देता है तो उसका रूप बहुत ही भयंकर होता है। जैसे विषैले बीज को बोना तो आसान है लेकिन उसकी फसल काटना अत्यंत दुखदाई होता है।
अच्छे लोग अपने प्यार की दुनियां को बढ़ाने में पूरा ध्यान देते है। संबंधों को संभालिये तथा असली और नकली के बीच अंतर हमें सीखना चाहिए।
हमें अपने शरीर का ध्यान रखते हुए उपवास करना चाहिए क्योंकि हम उपवास आंतरिक रूप में करते हैं। जबकि हमें सामाजिक बर्ताव या नियमित दिनचर्या में भी संतुलन बनाकर जीवन जीना चाहिए। जिससे शारीरिक और मानसिक दोनों कार्यों को संतुलित करते हुए योग सिद्ध हो जाए।


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