योग हमारे देश की बहुमूल्य
निधि है जिसे सारे संसार में बहुत अधिक सम्मान दिया गया है. योग का अर्थ ही भगवान्
से जुड़ना है. जहाँ से हमारा वियोग है वहां से हमारा योग हो सके. हमारा माया से योग
हो रहा है. माया से हम वियोग करें और मायापति से योग करें. पतंजलि ऋषि ने कहा है
की योग अनुशासन का नाम है . अपने आप को अनुशासित करे. अपनी दिनचर्या, अपना रहन-सहन , अपना व्यवहार,
अपना आचरण और अपने आपको नियम में बांधिए जिससे ये जीवन सुन्दर बन सके
और आप संसार के संघर्षों में खरे उतर सके. आपको अपना जीवन और सुन्दर बनाने के लिए
व्यवस्थित होना पड़ेगा. योजनाएं बनाकर चलना पड़ेगा. रात्री में ही अगले दिन की
तैयारी कर लेना अच्छा है.

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