प्रत्येक मनुष्य की कामना है की उसका जीवन पूर्ण सुखी
हो, वह पूर्णतया नीरोग हो और शतायु हो. परन्तु इस इच्छा की पूर्ति के लिए कुछ
नियमों का पालन करना अनिवार्य है. ये नियम सरल और कठोर दोनों है. यदि आपके विचार
सुलझे हुए है, मन वश में है, इन्द्रियों पर अधिकार है और सात्विक भाव जागृत है, तो
आपको ये नियम सरल लगेंगे. यदि आपकी चित्वृतियाँ विश्रंखल है तो ये नियम कठोर लगेंगे.
परन्तु इस कठोर अनुशासन का पालन किये बिना सच्चे सुख की प्राप्ति नहीं हो सकती. कान
से अच्छी बातें सुने. आँख से अच्छी चीज़े देखे. जब हमारी दृष्टि में कुवासना, दूषित
मनोवृति नहीं होगी तो हमें सब मित्र, सहयोगी और प्रिय दिखाई देंगे.
जिंदगी के हर
परिवर्तन से शिक्षा लो, जीवन एक पाठशाला है रोज नई चीज़ सीखते हुए आगे बढ़ो, जीवन को
ऊँचा उठाओ, जीवन में मिले कर्तव्यों को निभाते हुए आनंद में जीना ही जीवन है.
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