हे मेरे प्यारे प्रभु ! मैं कैसा मन लेकर आऊ जो तू मेरा हो जाए, कौन सा धन लेकर आऊ कि तुझे रिझा सकूं,क्या अर्पण करूं कि तुझे सदा के लिए पा लूं, कौन सा प्रयास करूं की तेरी निकटता प्राप्त हो जाए. कौन सी वाणी बोलू जो तुझे पसंद आ जाए, कौन सा कर्म करूं जो तुझे भा जाए.इस स्थिति में एक ही ध्यान रहता है की प्रभु मेरा हो जाए और मैं उसका हो जाऊं.
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