मौन का पहला लाभ यह है की जो उर्जा आपके शारीर में फैली हुई रहती है उस उर्जा शक्ति को और अधिक संग्रहित करने का और सबल बनाने का अवसर मिलगा. कैसे? वाणी का नियंत्रण बहुत बड़ी शक्ति है, लेकिन मौन रहना आसान नहीं है. जो कुछ इंसान बाहर ढूंढता है वह सारी शक्ति वह सुख और सुकून वह चैन और संतोष बाहर नहीं है वह सब आपके अन्दर में है.
पर उसके लिए एक काम करना पड़ेगा। जब आप भीड़ में खड़े होते है तो आप अपने आपको अनुभव करते है। लेकिन आप जैसे ही अकेले बैठते है तो आपके अंदर दुनिया के विचारों की जैसे एक भीड़ चल रही होती है। कभी ऐसी कोशिश कीजिये की आप निरर्थक विचारों को तोड़ने में सफल हो जाएँ और जो विचार आपके तन में चल रहे है उन्हें रोकने में समर्थ हो जाएँ।
एक बार मौन में उतर जायें तो वाणी में एक नई सुगंध आ जायेगी ,वाणी नई गहराइयाँ ले लेगी, वाणी में गहन शक्ति आ जायेगी. बस जरुरत है एक बार अन्दर बाहर से मौन हो जाओ. बाहर मौन-भीतर विचारों की अंतर्धारा बहती है. बाहर से चुप पर अन्तरवार्ता में लीं. भीतर तक जबसे मौन नहीं हुए वास्तविक मौन की उपलब्धि कहाँ हुई.
"आज से ही संकल्प करें की आप नपा-तुला बोलेंगे, कम बोलेंगे, अधिक बोलने से बचेंगे तो आप अपनी बहुत सारी ऊर्जाशक्ति को संग्रहित करेंगे."
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