यदि व्यक्ति भक्ति करने में, भजन करने में रुचि लेने लगे तो इसका अर्थ
है कि उसमें सात्विकता बढ़ने लगी है पिछला पुण्य जाग गया है. इस जन्म में मनुष्य
का जो चोला धारण किया है, वह सफल हो गया है.
यदि आपकी रुची संसार के पदार्थ एकत्र करने में है तो इसका अर्थ है की
आपकी भावना में तामसिकता है. जीवन में भटकाव है. जब तक आप भटकते रहोगे, जीवन में
शांति नहीं आएगी. हर मनुष्य के लिए बहुत जरुरी है की उसके जीवन में भक्ति की लहर
जाग जाए. ऐसा मौका भाग्यशाली व्यक्ति को ही मिलेगा. कभी-कभी तो ऐसा भी देखने में
आया है की यदि किसी के आस- पड़ोस में कोई भक्त आदमी हो तो उसका भी प्रभाव पड़ता है.
भगवान् से प्रार्थना करिये: हे भगवान् यदि हमें संग दो तो ऐसे व्यक्ति का दो, जो
खुद भी आपका नाम जपे और हमसे भी जपवाए. जिसे सच्चे व्यक्ति का संग मिल जाए , वह
व्यक्ति भाग्यशाली होता है.
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