मानव चोला तभी
सफल है जब जीवन में भक्ति अंकुरित हो. भगवान् से प्रार्थना करो की मेरी वाणी को
शक्ति दो सदा आप का नाम जपती रहे. प्रार्थना करते – करते जब वाणी से वेदना भरे
स्वर निकलें, आँखों से प्रायश्चित के आंसूं बहें तो आप को लगेगा की आप के
प्रार्थना के फूल, आँखों से बहकर आंसुओं के रूप में परमात्मा ने स्वीकार कर लिए है.
अन्दर इतना प्रेम प्रकट कर लो की दीवानापन आ जाए. जब दीवानापन प्रकट होने लगता है
तो भक्ति चरम में पहुँचती है. वह दीनदयाल तो हर एक के हृदये में बसा हुआ है,
तपस्या द्वारा जिसके हृदये में नूर के रूप में प्रकट हो जाए तो फिर कुछ मांगना
बाकी नहीं रह जाता. प्रभु का होने से पहले उनके हो जाओ तो तप द्वारा प्रभु के हो
चुके है. वह हमारे पूजनीय हैं, जो हमें प्रभु का रास्ता बताते है. सुबह-शाम नियम
से उसकी भक्ति में बैठो. भगवान् का नाम तारता है, गदगद होकर उसके नाम का जाप करो.
चलते फिरते , उठते बैठते उसके नाम का सिमरन करो.
भगवान् से
प्रार्थना करो की “ जैसे हर ऋतु माधुर्य लेकर आती है, भगवान् मैं भी जहाँ जाऊं,
मिटास लेकर जाऊं. संसार का व्यव्हार निभाते हुए भगवान् का ध्यान करो. बिना प्रयास
के मंजिल तक पहुँच नहीं पाओगे. रोज प्रार्थना में बैठो. भगवान् कहते है, “ मुझे
चाहने वाला कोई सच्ची प्यास लेकर आये तो मैं उसे मिलने के लिए खड़ा हूँ, कोई नहीं
लगाता. जिसके अन्दर परमात्मा की प्यास जग गई, जिसने उसके अमृत घट से जल पी लिया,
वह हर समय आनंद में डूबा रहेगा. जिसको नाम की खुमारी लग गई, वह सौभाग्यशाली है.
मानव तन मुश्किक
से मिला है सबने ये ही बताया
पर तूने अनमोल
खजाना कौड़ी बदले लुटाया.
जानभुझ कर अपने
हाथों यूँ ना गवा तू अपना धन
ओ मेरे मन .... बातों
ही बातों में बिते रे उमरिया.
No comments:
Post a Comment