जीवन
की यात्रा में मनुष्य को कभी-कभी एकांत में बैठकर यह विचार अवश्य करना चाहिए की
मेरा चिंतन कैसा है | मैं क्या और कैसे सोचता- विचारता हूँ? मेरी विशेषताएं क्या
है? कैसे लोगों के साथ मेरा उठाना- बैठना है? इसके बाद विश्लेषण करके उचित –अनुचित
को समझना चाहिए. कीमती को संभाल लीजिए और फ़ालतू को हटा दीजिये, इस तरह जिंदगी में
नयापन आएगा, निखार आएगा. विचार करे आप सारा दिन मस्ती के साथ चलते है या सुस्ती के
साथ? मस्ती का मतलब है नया जीवन और सुस्ती का अर्थ है- उबासा जीवन. मस्ती की बस्ती
में बसिए, सुस्त लोगों से बचिए मस्त रहे, खुश रहे, खुश रखे. दुखी होने की आदत से
बचे. भयग्रस्त न रहे.
कुछ लोग हंसने से भी डरते है. कुछ लोग हर जगह कमियां निकालते
रहते है, आलोचनाओं में लगे रहते है. जीवन में खुश रहना सबसे अच्छी आदत है. इसलिए
हँसते हंसाते रहिये. बिना कारण के भी जो हँसे वह है अलमस्त . अलमस्त ,मतलब जिसे
दुनिया में जीना आ गया. बच्चा दिन में तीस बार हँसता है, मगर बड़े होने पर व्यक्ति
30 दिन में एक-दो बार हँसता है. आजकल लोग हँसना ही भूल गये. हँसना भगवान् का दिया
हुआ वरदान है, हंसने से मनुष्य को तन-मन तरोताजा हो जाता है. हंसने से मनुष्य का
तनाव हटता है. तनाव मनुष्य की मुस्कुराहट को छीनता है, प्रतिभा को जंग लगाता है,
सुख-शांति और नींद को छीनता है. इसे ठीक करने के लिए दिनचर्या ठीक करिए, बच्चों के
बीच बैठिये- बच्चों के साथ बच्चे बन जाए- हँसे और मुस्कुराए. समय पर काम करने की
आदत डालिय. प्रत्येक क्षण का पूरा लाभ लीजिए. बात बात पर गुसा करने की आदत अच्छी
नहीं होती है.जिंदगी को महकाएं, नूतन- नवीन बनाये. अपने विचारों में नवीनता लाये. हरिओम
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