कहते हैं
जो परमात्मा तुम्हारे अंदर में है उसे आध्यात्मिक आनंद का तत्काल दर्शन कराने वाला,ईश्वर से मिलाने वाला सतगुरु दीक्षा गुरु होता है। साधक को
आत्म-ज्ञान की दीक्षा का फल आत्म प्रतीति,विश्वास और गुरु
प्रदत्त शक्ति का सामर्थ्य जानना आवश्यक है।शिष्य की योग्यता ही गुरु का गुरुत्व
और शिष्य का शिष्यत्व सिद्ध करता है।
गुरु पद का महान पुरुष त्यागी तपस्वी होता है।ज्ञान मार्ग में सत्यता सरलता और शुद्धता ही फलीभूत होती है।उत्तम गुण वाले सद शिष्य और श्रद्धावान अति भक्त को जो ज्ञान दिया जाता है।वही शास्त्र के अर्थ का प्रकाशक होता है।
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