Param pujye Shri Sudhanshuji Maharaj, born on May2, 1955,commonly referred to as Maharaj Shri or Gurushri by his worldwide followers is a preacher from India. He founded Vishaw Jagriti Mission in 1991 which aims to performing spriritualactivities such as Sewa,Simran, Swadhaye, Satsang, Sadhna. Under his wise and well-recognised leadership, the Mission has over 80 branches, 22 Ashrams(old age homes) and 3 charitable Hospitals. throughout the world.

परम पूज्य श्री सुधांशुजी महाराज प्रवचांश

51) श्री गुरु स्तोत्रम्

ब्रह्मानंद परमसुखदं केवलं ज्ञानमूर्तिम्।
द्वन्द्वातीतं गगनसदृशं तत्वमस्यादि लक्ष्यम्।
एकं नित्यं विमलमचलं सर्वधी साक्षी भूतम्।
भावातीतं त्रिगुणरहितं सद्गुरुं तं नमामि॥
जो स्वयं ब्रह्मानन्द स्वरूप हैंपरम सुख देने वाले हैंज्ञान की मूर्ति हैंहर्ष-शोक आदि द्वन्द्वों से रहित हैंआकाश के समान निर्लेप हैं, 'तत्वमसिआदि महावाक्यों से जाने जा सकेंऐसे गूढ़ हैंनित्य हैंविमल हैंअचल हैंनिरन्तर साक्षीरूप हैंकल्पना में जिनका स्वरूप नहीं समा सके ऐसे सत्व-रज-तम तीनों गुणों से परे हैं सद्गुरु के चरणों में नमन है।

अज्ञानतिमिरान्धस्य ज्ञानाञ्जनशलाकया।
चक्षुरुन्मीलितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
अज्ञानरूपी अंधकार के कारण मनुष्य यथार्थ से अनभिज्ञ रहता है,
 जिससे वह दु:खी होता है। सद्गुरु ज्ञानरूपी अंजन देकर शिष्य के विवेकरूपी दृष्टि को जागृत करते हैंऐसे सद्गुरु को नमन है।
अखण्डमण्डलाकारं व्याप्तं येन चराचरम्।
तत्पदं दर्शितं येन तस्मै श्री गुरवे नमः॥
परमात्मा जो अखण्ड हैमण्डलाकार ब्रह्माण्ड में समाया हुआ हैजो चर-अचर में व्याप्त है उस परमतत्त्व का दर्शन जो करवाता है उस परमगुरु को नमन है।
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णुः गुरुर्देवो महेश्वरः।
गुरुः साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरवे नमः॥
गुरु ही ब्रह्मा हैगुरु ही विष्णु और गुरु ही भगवान शिव हैं।
गुरु ही साक्षात् परब्रह्म हैंउन गुरुदेव को नमस्कार है।
अखण्डानन्दबोधाय शिष्यसन्तापहारिणे।
सच्चिदानन्दरूपाय तस्मै श्री गुरवे नमः॥
परमात्मा के शाश्वत आनन्द का ज्ञान कराने वालेशिष्यों के दुःख को दूर करने वालेसत्-चित्-आनन्द स्वरूप गुरुदेव को नमन है।

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